Tv Tv Indian News New Delhi : दिल्ली के जंतर मंतर पर,बृजभूषण शरण के विरोध मे,हाल ही मे लम्बे समय तक,पहलवानों ने मोर्चा खोल रखा था,और जब उन्ही के करीबी,WFI अध्यक्ष बने,साक्षी मलिक अपनी भावनावों को काबू नहीं रख सकी, उन्होंने रोते हुए कुश्ती से सन्यास ले लिया।
जैसे ही गुरुवार (21 दिसंबर) को, पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी,भारतीय कुश्ती संघ के हुए चुनाव मे, संजय सिंह WFI अध्यक्ष बने,साक्षी मलिक का दर्द छलक उठा,और उन्होंने अचानक कुश्ती से, बाय बाय कह दिया। इससे पहले लंबे समय तक,पहलवानों का धरना प्रदर्शन,जंतर मंतर पर हुआ था।
पहलवान साक्षी मलिक ने,दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर,पत्रकारों को बताया,हमारे 40 दिन सडकों पर बीते,हमको वहां सोना पड़ा। देश के कई भागों से,हमारा समर्थन करने के लिए,वहां बहुत सारे लोग आये। उन्होंने प्रेस को दिए अपने बयान में कहा कि, बृज भूषण शरण सिंह के बिजनेस पार्टनर और नजदीकी, कुश्ती संघ का अध्यक्ष बन जाते हैं,इससे दुखी होकर मै कुश्ती छोड़ती हूं।
जिन्होंने हमारा समर्थन किया,उन सभी लोगों को धन्यवाद। हमने पूरे मन से लड़ाई लड़ी। बृजभूषण शरण सिंह जैसे आदमी को ही,अगर अध्यक्ष बनना है,तो मैं अपने कुश्ती का त्याग करती हूं। जब बृजभूषण शरण सिंह से, साक्षी मलिक के संन्यास ले लेने के बारे में,उनसे पूछा गया तो,इस पर उन्होंने जवाब दिया,साछी से मेरा क्या लेना देना।
राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता, अनीता श्योराण को हराकर,संजय सिंह WFI के अध्यक्ष बने हैं। सर्व समिति से अध्यक्ष चुनने के लिए,बुधवार तक कोशिशें होती रहीं,लेकिन इस कोशिश में सफलता नहीं मिल सकी। संजय सिंह यह दावा कर रहे थे कि, उनका ग्रुप सभी पदों पर चुनाव जीतेगा। इस चुनाव को जीत कर,उन्होंने अपनी बात को सच साबित कर दिया।
संजय सिंह,UP कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष के पद पर रहे हैं। वह बृजभूषण शरण सिंह के बहुत नजदीकी माने जाते हैं। चुनाव से पहले खबर आई थी कि,संजय सिंह के गुट के पास, 50 वोट में से 41 का समर्थन हासिल है। हिमाचल प्रदेश,असम,हरियाणा,ओडिशा,जम्मू कश्मीर के अतिरिक्त,सभी राज्यों के कुश्ती संघ से,उन्हें समर्थन मिल रहा है।
साक्षी मलिक,बजरंग और विनेश फोगाट ने,जब बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए,और उनके खिलाफ धरना प्रदर्शन किया, इसके बाद बृजभूषण से, चुनाव से दूर रहने के लिए कहा गया था। बृजभूषण एवं उनके पुत्र के साथ साथ,उनके दामाद को चुनाव से दूर रखा गया। संजय सिंह पर भी, चुनाव से बाहर रहने का दबाव बनाया गया,परन्तु बृजभूषण नहीं माने